26 सितंबर 2024: इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव के बीच, लेबनान स्थित इस सशस्त्र संगठन की शक्ति को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, हिज़बुल्लाह के पास अब लगभग 2,00,000 रॉकेट और मिसाइलें हैं, जो पूरे इज़राइल को अपनी जद में ले सकते हैं। यह संगठन इज़राइल की सुरक्षा के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है, और इज़राइली हवाई हमलों के बावजूद हिज़बुल्लाह कमजोर नहीं हुआ है।
हिज़बुल्लाह की मिसाइल और रॉकेट क्षमता
हिज़बुल्लाह ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सैन्य क्षमताओं में भारी इज़ाफा किया है। वर्तमान में, उसके पास करीब 2 लाख मिसाइलें और रॉकेट्स हैं, जो विभिन्न रेंज और क्षमता के हैं। इनमें शॉर्ट-रेंज रॉकेट से लेकर लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं, जो इज़राइल के बड़े हिस्से को निशाना बना सकती हैं। खासकर, हिज़बुल्लाह के पास ऐसी मिसाइलें हैं जो इज़राइल के प्रमुख शहरों जैसे तेल अवीव और यरूशलेम तक भी आसानी से पहुंच सकती हैं।
इज़राइली हवाई हमले और हिज़बुल्लाह की मजबूती
इज़राइल ने हिज़बुल्लाह की बढ़ती सैन्य ताकत को देखते हुए कई बार हवाई हमले किए हैं, जिनका उद्देश्य संगठन की हथियारों की आपूर्ति और ठिकानों को नष्ट करना रहा है। बावजूद इसके, हिज़बुल्लाह की ताकत में कोई खास कमी नहीं आई है। हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह कई बार यह दावा कर चुके हैं कि इज़राइली हमले उन्हें कमजोर नहीं कर सकते, बल्कि हर हमले के बाद संगठन और भी मजबूत होकर उभरा है।
इज़राइल की सुरक्षा पर मंडराता खतरा
हिज़बुल्लाह की इस विशाल रॉकेट और मिसाइल आर्सेनल ने इज़राइल के लिए एक स्थायी खतरा खड़ा कर दिया है। इज़राइल के पास ‘आयरन डोम’ जैसे एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम हैं, जो रॉकेट हमलों से सुरक्षा देने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मिसाइलें और रॉकेट एक साथ दागे जाने की स्थिति में, आयरन डोम भी पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकता। अगर हिज़बुल्लाह ने इज़राइल पर सामूहिक हमला किया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, और इज़राइल को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
हिज़बुल्लाह की रणनीति और गुरिल्ला युद्ध कौशल
हिज़बुल्लाह सिर्फ मिसाइलों और रॉकेट्स के दम पर ही खतरनाक नहीं है, बल्कि उसकी गुरिल्ला युद्ध की रणनीति भी इज़राइल के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकती है। लेबनान के पहाड़ी इलाकों में हिज़बुल्लाह ने सुरंगों और छिपे हुए बंकरों का जाल बिछाया है, जो इज़राइली सेना के जमीनी हमलों को रोकने में मददगार हो सकते हैं। 2006 के इज़राइल-हिज़बुल्लाह युद्ध के दौरान हिज़बुल्लाह ने अपनी गुरिल्ला क्षमताओं का प्रदर्शन किया था, और आज वह इससे भी ज्यादा मजबूत है।
ईरान का समर्थन और हिज़बुल्लाह की बढ़ती ताकत
हिज़बुल्लाह को ईरान का निरंतर समर्थन मिलता आ रहा है। ईरान ने न केवल हिज़बुल्लाह को हथियारों की आपूर्ति की है, बल्कि उसे तकनीकी और सैन्य प्रशिक्षण भी दिया है। ईरान की सहायता से हिज़बुल्लाह के पास अब प्रिसिजन गाइडेड मिसाइलें भी हैं, जो इज़राइल के अंदर बेहद सटीकता के साथ निशाना साध सकती हैं। इन मिसाइलों की रेंज और विनाशकारी क्षमता इज़राइल की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।
संभावित युद्ध का खतरा
मौजूदा हालात में इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच एक और बड़े युद्ध का खतरा बना हुआ है। अगर हिज़बुल्लाह ने अपने हथियारों का पूरा इस्तेमाल किया, तो यह युद्ध न केवल इज़राइल के लिए, बल्कि पूरे मिडिल ईस्ट के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। दोनों पक्षों के बीच तनाव अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां एक चिंगारी बड़े पैमाने पर हिंसा को जन्म दे सकती है।