इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद और लेबनान के हिज़बुल्लाह संगठन के बीच तनाव और टकराव की खबरें एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह, जो लेबनान के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा ताकतवर माने जाते हैं, लगातार इज़राइल के खिलाफ हमले की योजना बनाते रहे हैं। इस संघर्ष में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट जैसे पुराने तकनीकों का भी इस्तेमाल देखने को मिला है, जिससे यह समझ में आता है कि दोनों पक्ष किस हद तक जा सकते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- मोसाद और हिज़बुल्लाह का संघर्ष:
- मोसाद और हिज़बुल्लाह के बीच संघर्ष कोई नई बात नहीं है। इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद लंबे समय से हिज़बुल्लाह के कमांडरों को निशाना बनाती रही है, जिनमें प्रमुख नाम इब्राहिम अकील और इमाद मुगनिया शामिल हैं।
- पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट:
- हिज़बुल्लाह के खिलाफ मोसाद द्वारा किए गए कई ऑपरेशनों में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट का इस्तेमाल किया गया। ये पुराने तकनीकें मोसाद के लिए सफल साबित हुई हैं, और इज़राइली एजेंसी ने कई हिज़बुल्लाह कमांडरों को इसी तरीके से निशाना बनाया है।
- हिज़बुल्लाह की ताकत:
- हिज़बुल्लाह लेबनान में एक मजबूत संगठन है, जिसकी सैन्य और राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि उसका नेता हसन नसरल्लाह, लेबनान के प्रधानमंत्री से भी ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। संगठन को ईरान से समर्थन मिलता है, जो इसे इज़राइल के लिए एक गंभीर खतरा बनाता है।
- इज़राइल और हिज़बुल्लाह की दुश्मनी:
- 2006 में इज़राइल और हिज़बुल्लाह के बीच हुआ युद्ध, हिज़बुल्लाह की ताकत को साबित करता है। इज़राइल ने अपनी जमीन और सुरक्षा के लिए इस संगठन के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन हिज़बुल्लाह अब भी दक्षिण लेबनान के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता है।
- नसरल्लाह का प्रभाव:
- हसन नसरल्लाह का हिज़बुल्लाह संगठन लेबनान की राजनीति और सेना में इतना प्रभावी है कि कई मामलों में वह सरकार से भी ज्यादा नियंत्रण रखता है। नसरल्लाह की लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता ने हिज़बुल्लाह को एक ताकतवर बल बना दिया है।