“1971 की जंग के आखिरी दिनों में याह्या ख़ाँ क्या कर रहे थे? – विवेचना“
1971 की जंग के अंतिम दिनों में जब हालात पाकिस्तानी सेना के हाथों से निकलते जा रहे थे, तत्कालीन राष्ट्रपति याह्या ख़ाँ की बेचैनी साफ़ नजर आने लगी थी।
जैसे ही महत्वपूर्ण संदेश याह्या ख़ाँ तक पहुंचा, उन्होंने तुरंत अपने एडीसी अरशद समी ख़ाँ को आदेश दिया कि वह लेफ़्टिनेंट जनरल हमीद और चीफ़ ऑफ़ स्टाफ गुल हसन को राष्ट्रपति भवन बुलाएं।
इन तीनों के साथ एक अहम मुलाकात के बाद, याह्या ख़ाँ ने अपने एडीसी से अगले दिन के सभी अपॉइंटमेंट्स रद्द करने को कहा।
महत्वपूर्ण बैठक
अगले दिन सुबह 9 बजे जीएचक्यू (जनरल हेडक्वार्टर्स) में एक बड़ी बैठक बुलाई गई। इस बैठक में याह्या ख़ाँ के अलावा पाकिस्तानी सेना के सभी शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। बैठक का माहौल गंभीर था क्योंकि युद्ध के मैदान में पाकिस्तान की हार निश्चित नजर आ रही थी।
याह्या ख़ाँ इन अंतिम दिनों में संकट से उबरने के लिए राजनीतिक और सैन्य कदमों की रणनीति बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तब तक परिस्थितियां पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो चुकी थीं।
1971 के युद्ध का अंत पाकिस्तान के लिए करारी हार और बांग्लादेश के निर्माण के रूप में हुआ, लेकिन इन अंतिम दिनों के घटनाक्रम में याह्या ख़ाँ का नेतृत्व सवालों के घेरे में आ गया।