सिक्किम में एलएसी के निकट सेना ने दिखाई ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ताकत

उत्तरी सिक्किम में भारतीय सेना का दमदार शक्ति प्रदर्शन, दुर्गम परिस्थितियों में 18 दिन चला युद्धाभ्यास

सिक्किम/नई दिल्ली – भारतीय सेना ने उत्तरी सिक्किम के दुर्गम और ऊंचाई वाले क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है। यह क्षेत्र पूर्वी हिमालय में स्थित है और इसे देश के सबसे कठिन युद्ध क्षेत्रों में गिना जाता है।

हथियारों और तकनीक में आत्मनिर्भर भारत की झलक

इस 18 दिवसीय अभ्यास के दौरान सेना ने अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों और हथियारों का प्रयोग किया, जिनमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट लॉन्चर, और विशेष सैन्य वाहन शामिल थे। उल्लेखनीय है कि अधिकतर हथियार ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत भारत में ही विकसित किए गए हैं, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का संकेत मिलता है।

‘प्लेटो ब्रिगेड’ के योद्धाओं की बर्फीली चुनौती

भारतीय सेना की विशेष टीम, जिसे ‘प्लेटो ब्रिगेड’ के नाम से जाना जाता है, ने 19,000 फीट की ऊंचाई और -40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान वाली कठिन परिस्थितियों में यह अभ्यास किया। इस दौरान तेज हवाएं और ऑक्सीजन की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए टीम ने 146 किलोमीटर का दुर्गम सफर तय किया।

पहली बार हिमालय पार अभ्यास

यह पहली बार हुआ है जब सेना की टीम ने हिमालय पार कर तिब्बत सीमा से सटे भारतीय क्षेत्र में इतनी व्यापक सैन्य तैयारी को अंजाम दिया। इसमें सेना की रणनीतिक क्षमताओं, क्षेत्र में त्वरित प्रतिक्रिया देने की योग्यता और जमीनी मोर्चे पर तैयारियों का स्पष्ट संदेश समाहित है।

धार्मिक और भौगोलिक महत्व वाला क्षेत्र

यह क्षेत्र न केवल रणनीतिक दृष्टि से बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहीं से तीस्ता नदी निकलती है और यहां बौद्ध व सिख धर्म से जुड़ी पवित्र झीलें भी स्थित हैं। पठारी क्षेत्र की कम ऑक्सीजन और कठिन जलवायु के कारण यहां तैनात होने से पहले जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।

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