“संसाधनों की बर्बादी से पृथ्वी को नुकसान, जीवनशैली में बदलाव आवश्यक “
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि वैश्विक पर्यावरणीय क्षति के लिए मुख्य रूप से विकसित देश जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सस्ती ऊर्जा के लाभ का अंधाधुंध उपयोग किया। उन्होंने सोमवार को नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) भागीदारी शिखर सम्मेलन 2024 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने जोर देकर कहा कि संसाधनों की बर्बादी पृथ्वी को गंभीर नुकसान पहुंचा रही है और पूरी दुनिया को अपनी जीवनशैली पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
ग्लोबल साउथ के लिए भारत का समर्थन
गोयल ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के देशों को मित्रता और साझेदारी का भरोसा दिलाता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्थिरता, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी जैसे विषय वर्तमान में सबसे प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर चर्चा से विश्व को समाधान की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
प्रौद्योगिकी और जीवन का बदलता स्वरूप
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऑटोमेशन से जीवनशैली और आजीविका में बदलाव आएगा। हालांकि, उन्होंने परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीक और विरासत के बीच संतुलन बनाकर ही भविष्य के लिए एक बेहतर रास्ता तैयार किया जा सकता है।
संसाधन बर्बादी का प्रभाव
गोयल ने कहा कि संसाधनों की बर्बादी ने दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनने से रोक दिया है। उन्होंने आग्रह किया कि जीवनशैली और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के लिए कार्बन फुटप्रिंट और कचरे को कम करने की आवश्यकता है।
उपभोग पैटर्न में बदलाव की आवश्यकता
मंत्री ने कहा कि मौजूदा पर्यावरणीय संकट सिर्फ उत्पादन से उत्पन्न कार्बन का परिणाम नहीं है, बल्कि उपभोग पैटर्न का भी योगदान है। उन्होंने कहा कि नवाचार, बुनियादी ढांचा और निवेश जैसे पहलुओं पर ध्यान देकर अधिक समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है।
ऊर्जा और समावेशी विकास का महत्व
पीयूष गोयल ने ऊर्जा को आर्थिक विकास का प्रमुख चालक बताया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा ही भविष्य की दिशा तय करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि वैश्विक व्यापार और पर्यटन के माध्यम से समावेशिता और विकास को बढ़ावा दिया जाए।