“पीएलआई योजना का असर: भारत के निर्यात में बढ़ रही इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की हिस्सेदारी“
भारत के निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स सेगमेंट की हिस्सेदारी में तेज वृद्धि हो रही है। केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना और नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की स्थापना ने इस सेगमेंट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
निर्यात में वृद्धि
2024-25 के अप्रैल-नवंबर के दौरान भारत का इलेक्ट्रॉनिक निर्यात 27.4% बढ़कर 22.5 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 की इसी अवधि में 17.66 अरब डॉलर था।
स्मार्टफोन निर्यात में जबरदस्त उछाल
इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी स्मार्टफोन की रही, जिसमें 45% की वृद्धि दर्ज की गई। इसका श्रेय एप्पल और सैमसंग जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों को दिया जा सकता है, जिन्होंने भारत में अपना उत्पादन बढ़ाया है।
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका
चीन पर निर्भरता कम करने के लिए वैश्विक कंपनियां भारत में वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला स्थापित कर रही हैं। फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों के सहयोग से एप्पल का भारत में विस्तार स्मार्टफोन निर्यात को गति दे रहा है।
सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भविष्य की संभावनाएं
भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं के विस्तार से निर्यात में और तेजी की उम्मीद है। गुजरात के साणंद में 3,307 करोड़ रुपये के निवेश से एक नई सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित की जा रही है। यह भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत स्वीकृत पांचवीं परियोजना है, जिससे सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कुल निवेश 1,52,307 करोड़ रुपये (18.15 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है।
इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ते आंकड़े
भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग 2024 के मार्च तक 100 अरब डॉलर को पार कर चुकी थी। यह 2017 में 49 अरब डॉलर थी, जो पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में हुई तेजी को दर्शाती है।
अन्य उत्पादों में भी बढ़त
उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर मॉड्यूल, डेस्कटॉप और राउटर जैसे उत्पादों के निर्यात में भी मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत की नई भूमिका
सरकार द्वारा पीएलआई योजना और त्वरित मंजूरी ने वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया है। यह कदम न केवल भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित कर रहा है, बल्कि देश के निर्यात को भी नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।
भारत का बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात इसकी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं और वैश्विक बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।