“भारत का रक्षा उत्पादन 2023-24 में रिकॉर्ड स्तर पर, “मेक इन इंडिया” पहल से मिली बड़ी ताकत“
भारत का रक्षा उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो 2014-15 से 174% की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि “मेक इन इंडिया” पहल से प्रेरित होकर हुई है, जो भारत को स्वदेशी विनिर्माण में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। रक्षा बजट में 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से लेकर 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपए तक की वृद्धि, देश के सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्प को स्पष्ट करती है।
आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण में सरकार की प्रतिबद्धता
भारत का रक्षा उत्पादन “मेक इन इंडिया” पहल के शुभारंभ के बाद से असाधारण गति से बढ़ा है। देश अब विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर नहीं है और अपनी सैन्य ताकत को स्वदेशी विनिर्माण के माध्यम से आकार दे रहा है। इस आत्मनिर्भरता के प्रयासों में सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, जैसा कि हाल ही में एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) की खरीद की मंजूरी से हुआ है, जो भारतीय सेना की मारक क्षमता को और मजबूत करेगा।
रक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि और नवाचार
भारत ने स्वदेशी रक्षा उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हासिल की है। अब 65% रक्षा उपकरण देश में ही निर्मित किए जाते हैं, जो पहले के आयात निर्भरता से एक महत्वपूर्ण बदलाव है। साथ ही, भारत के रक्षा निर्यात में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो 2013-14 में 686 करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसके साथ ही, भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है।
सरकारी पहल और निजी क्षेत्र की भूमिका
भारत के रक्षा उद्योग में कई महत्वपूर्ण सरकारी पहलें शामिल हैं, जिनका उद्देश्य निवेश आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनाना है। इन पहलों में उदारीकृत एफडीआई नीति, रक्षा परीक्षण अवसंरचना योजना, घरेलू खरीद को प्राथमिकता देना और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP)-2020 शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो रक्षा उत्पादन में 21% योगदान देता है और नवाचार तथा दक्षता को बढ़ावा देता है। भारत ने 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, जिससे वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उसकी स्थिति मजबूत होगी।
निष्कर्ष
भारत का रक्षा उत्पादन और निर्यात की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति इसके आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी सैन्य विनिर्माण केंद्र के रूप में बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है। इस बदलाव से न केवल भारतीय सेना की ताकत बढ़ी है, बल्कि देश की रक्षा क्षमताओं में भी महत्वपूर्ण सुधार आया है।