“ठाकुराणी दरोह” में मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान”
हर साल की तरह इस बार भी मकर संक्रांति के अवसर पर ठाकुराणी दरोह तीर्थस्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। पवित्र नदी के किनारे स्थित इस धार्मिक स्थल पर लोगों ने सूर्य के उत्तरायण होने के शुभ दिन पर पवित्र स्नान किया और पूजा-अर्चना की।
सुबह से ही श्रद्धालु ठंड के मौसम के बावजूद स्नान के लिए घाट पर एकत्र हो गए। पवित्र जल में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। ठाकुराणी दरोह का यह धार्मिक स्थल मकर संक्रांति के मौके पर विशेष महत्व रखता है और यहां हर वर्ष सैकड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं।
धार्मिक मान्यता और परंपरा
ठाकुराणी दरोह की धार्मिक मान्यता है कि यहां मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है और व्यक्ति के पापों का नाश होता है। इस दिन लोग विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा करते हैं और उन्हें अर्घ्य देकर स्वास्थ्य, धन और खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।
स्थानीय पुजारियों ने बताया कि इस अवसर पर लोग तिल, गुड़, चावल और कंबल का दान भी करते हैं, जो मकर संक्रांति की परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रशासनिक व्यवस्थाएं
मकर संक्रांति पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष इंतजाम किए। पुलिस बल और स्वास्थ्य कर्मियों को घाटों पर तैनात किया गया ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
घाट की साफ-सफाई और पानी की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया। स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी इस मौके पर श्रद्धालुओं की मदद के लिए अपनी सेवाएं दीं।
ठाकुराणी दरोह का महत्व
ठाकुराणी दरोह का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। माना जाता है कि इस स्थान पर स्नान करने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है। इस पवित्र स्थल पर पूरे साल श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मकर संक्रांति के दिन यहां का वातावरण आध्यात्मिक और उल्लासपूर्ण हो जाता है।
इस बार भी ठाकुराणी दरोह में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मकर संक्रांति का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान कर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना की।