अब 5वीं और 8वीं में फेल होने पर नहीं मिलेगा प्रमोशन, बाल शिक्षा अधिकार नियमों में बदलाव

अब 5वीं और 8वीं में फेल होने पर नहीं मिलेगा प्रमोशन, बाल शिक्षा अधिकार नियमों में बदलाव

केंद्र सरकार ने बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के नियमों में संशोधन करते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है। इसके तहत राज्यों को अब 5वीं और 8वीं कक्षा में असफल विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट करने की बाध्यता नहीं रहेगी।

संशोधित नियमों का विवरण

नए नियमों के तहत, 5वीं और 8वीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में असफल छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। अगर वे दोबारा भी सफल नहीं होते, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

कोई निष्कासन नहीं होगा

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार ने कहा कि 8वीं कक्षा तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत बच्चों की शिक्षा के स्तर को सुधारने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कमजोर छात्रों के लिए अतिरिक्त मदद और मार्गदर्शन सुनिश्चित किया जाएगा।

नए नियमों का उद्देश्य

संशोधित नियमों का उद्देश्य छात्रों की सीखने की गुणवत्ता में सुधार करना और उनकी शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करना है। इसके तहत स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो बच्चे फेल हुए हैं, उनके लिए विशेष निर्देश और मदद की व्यवस्था की जाए।

आरटीई अधिनियम (संशोधन) नियम, 2024

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा कि संशोधित नियम अब लागू हो गए हैं। इन नियमों को “निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियम, 2024” नाम दिया गया है।

परीक्षा प्रक्रिया

  • राज्य हर साल कक्षा 5 और 8 में नियमित परीक्षाएं आयोजित करेंगे।
  • असफल छात्रों को अतिरिक्त शिक्षण सहायता दी जाएगी और दो महीने बाद फिर से परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
  • अगर छात्र आवश्यक मानकों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे उसी कक्षा में रोका जाएगा।

स्कूल की जिम्मेदारियां

  • प्रधानाचार्य अनुत्तीर्ण छात्रों की सूची बनाएंगे।
  • उनकी सीखने की कमियों की पहचान करेंगे और विशेष शैक्षिक इनपुट की व्यवस्था करेंगे।

निष्कासन का प्रतिबंध

संशोधित नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि कक्षा 8 तक किसी भी छात्र को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा, जिससे शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) का मूल उद्देश्य बना रहेगा।

इस बदलाव का उद्देश्य शैक्षणिक स्तर को सुधारना और छात्रों को बेहतर शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करना है।

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