“दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण: पराली जलाने की रोकथाम के लिए संसद समिति की सिफारिशें“
नई दिल्ली: संसद की अधीनस्थ विधान संबंधी समिति ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के उद्देश्य से कई सिफारिशें दी हैं। इनमें पराली का मानक न्यूनतम मूल्य (बेंचमार्क एमपी) तय करने और धान की जल्द तैयार होने वाली फसल को अपनाने पर विशेष जोर दिया गया है।
पराली के लिए तय हो न्यूनतम मूल्य
समिति के अध्यक्ष मिलिंद मुरली देवड़ा ने राज्यसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए सुझाव दिया कि आयोग को राज्य सरकारों के साथ मिलकर पराली के लिए एक न्यूनतम मूल्य तय करना चाहिए। यह मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की तर्ज पर तय किया जाए ताकि किसान पराली की बिक्री से एक निश्चित आय प्राप्त कर सकें।
- रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि पराली खरीद व्यवस्था की हर साल समीक्षा की जानी चाहिए।
- जिन इलाकों में पराली के अंतिम उपभोक्ता नहीं हैं, वहां 20-50 किलोमीटर के भीतर भंडारण सुविधा दी जानी चाहिए, ताकि किसानों को पराली के परिवहन का अतिरिक्त बोझ न उठाना पड़े।
पराली जलाने की प्रमुख वजह और समाधान
समिति ने बताया कि पराली जलाने की एक प्रमुख वजह यह है कि धान की कटाई और रबी की फसल की बुवाई के बीच केवल 25 दिनों का अंतर होता है। ऐसे में पूसा-44 जैसी जल्दी पकने वाली धान की किस्मों को बढ़ावा देकर पराली जलाने की समस्या को कम किया जा सकता है।
पराली से जैव ऊर्जा उत्पादन के लिए राष्ट्रीय नीति
समिति ने कृषि अपशिष्ट से जैव ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय नीति बनाने की सिफारिश की है। इस नीति के निर्माण में कृषि मंत्रालय, नवीन एवं नवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय को शामिल करने का सुझाव दिया गया है।
“रेड एंट्री” नियमों में बदलाव की सिफारिश
समिति ने पराली जलाने के लिए “रेड एंट्री” सूची में शामिल किसानों को राहत देने के लिए कुछ बदलावों की सिफारिश की है।
- यदि कोई किसान दोबारा पराली जलाने का दोषी नहीं पाया जाता है, तो एक निश्चित समय बाद उसका नाम “रेड एंट्री” सूची से हटा दिया जाना चाहिए।
- यदि किसान पराली के निष्पादन के लिए पर्यावरण अनुकूल उपाय अपनाता है, तो उसे खुद भी अपना नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति होनी चाहिए।
कानूनी प्रावधानों में स्पष्टता की जरूरत
समिति ने पराली जलाने से संबंधित नियमों में कार्रवाई और जुर्माने से जुड़े कई प्रावधानों में स्पष्टता लाने की सिफारिश की है।
- “छोटे और सीमांत किसान” की परिभाषा स्पष्ट होनी चाहिए ताकि उनके लिए उपयुक्त नीतियाँ बनाई जा सकें।
- अधिकारियों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए ताकि नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में कोई दिक्कत न हो।