सीमा खतरों से निपटने के लिए BSF ने टेकनपुर में भारत का पहला ड्रोन युद्ध स्कूल खोला

टेकनपुर में बीएसएफ का पहला ड्रोन युद्ध स्कूल स्थापित, सीमाओं पर खतरों से निपटने को तैयार जवान

भारत की सीमाओं पर बढ़ते ड्रोन खतरों और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदले हालात के बीच, सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने मध्य प्रदेश के टेकनपुर स्थित अपनी प्रशिक्षण अकादमी में देश का पहला समर्पित “ड्रोन युद्ध स्कूल” स्थापित किया है। इसका उद्देश्य सीमा पर आक्रामक और रक्षात्मक ड्रोन क्षमताओं को विकसित करना और जवानों को आधुनिक युद्धक तकनीकों से लैस करना है।

पिछले महीने शुरू हुए इस स्कूल के पहले बैच में 40 अधिकारियों ने एक सप्ताह का “ड्रोन ओरिएंटेशन कोर्स” पूरा किया। वर्तमान में 47 जवानों का दूसरा बैच छह सप्ताह के “ड्रोन कमांडो कोर्स” में प्रशिक्षण ले रहा है, जिसमें ड्रोन उड़ाने, मरम्मत, हथियारीकरण, रणनीति, अनुसंधान एवं विकास (R&D) और ड्रोन के जरिए होने वाली तस्करी से निपटने की तकनीकें सिखाई जा रही हैं।

बीएसएफ अकादमी टेकनपुर के एडीजी और निदेशक शमशेर सिंह के अनुसार, पिछले 4-5 वर्षों में सीमा पर ड्रोन से नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। इन चुनौतियों का प्रभावी सामना करने और बल को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए यह ड्रोन युद्ध स्कूल स्थापित किया गया है।

स्कूल को तीन विंगों – उड़ान एवं विमानचालन, रणनीति, और अनुसंधान एवं विकास – में विभाजित किया गया है। रणनीति विंग पर विशेष फोकस है, जहां जवानों को आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों को मिलाकर संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। दो प्रमुख कोर्स – ड्रोन कमांडो और ड्रोन वॉरियर – चलाए जा रहे हैं। इनमें जवानों को 50 सेकंड में ड्रोन असेंबल करने जैसी क्षमताएं सिखाई जा रही हैं।

बीएसएफ ने सीमा पर पिछले पांच वर्षों की घटनाओं और तस्करों द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीकों का गहन विश्लेषण करके पाठ्यक्रम तैयार किया है। इसमें ड्रोन हमलों से बचाव, दुश्मन ड्रोन को निष्क्रिय करना और सीमा प्रबंधन में ड्रोन गश्ती को शामिल करने जैसे मॉड्यूल भी जोड़े गए हैं।

एडीजी शमशेर सिंह ने बताया कि भविष्य में बीएसएफ संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन गश्त तैनात करने की योजना बना रही है। साथ ही, साइबर युद्ध से निपटने के लिए भी नए पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

बीएसएफ के महानिरीक्षक उमेद सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने दिखाया है कि ड्रोन युद्ध भविष्य का अहम हिस्सा बन गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने भी पश्चिमी सीमा पर ऐसे ड्रोन हमले देखे हैं। इसलिए, बल को ड्रोन संचालन और ड्रोन-रोधी रणनीतियों – जैसे स्पूफ़र, जैमर, डिटेक्टर और सॉफ्ट-हार्ड किल समाधान – में प्रशिक्षित करना आवश्यक है।

उन्होंने बताया कि बीएसएफ क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार एक एकीकृत ड्रोन-रोधी प्रणाली स्थापित करने पर काम कर रही है और इन तकनीकों पर प्रशिक्षण पहले से ही जारी है।

इस पहल से बीएसएफ को न केवल सीमाओं पर आधुनिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता मिलेगी, बल्कि यह स्वदेशी तकनीकी विकास और हाइब्रिड युद्ध के लिए तैयार एक सक्षम सीमा बल की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।

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