“खरीफ फसलों की बुवाई में बढ़ोतरी, किसानों की आय और उत्पादन दोनों में इजाफे की उम्मीद”
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष खरीफ फसलों की बुवाई का कुल क्षेत्रफल बढ़कर 89.29 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय तक यह आंकड़ा 87.81 लाख हेक्टेयर था। सीजन की शुरुआत में ही 1.48 लाख हेक्टेयर की वृद्धि एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है, जिससे फसल उत्पादन में इजाफे और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने की संभावना है।
धान की रोपाई इस वर्ष 13 जून तक 4.53 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। दालों की बात करें तो उड़द और मूंग जैसी फसलों का रकबा 2.6 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.07 लाख हेक्टेयर हो गया है। यह शुरुआती बढ़त किसानों की सक्रियता और अनुकूल मौसम को दर्शाती है।
तिलहनों की बुवाई भी इस साल बेहतर रही है, जहां अब तक 2.05 लाख हेक्टेयर भूमि पर बुवाई हो चुकी है। मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा और रागी के लिए बुवाई क्षेत्र 5.89 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। मानसून की समय पर और अच्छी शुरुआत ने असिंचित क्षेत्रों में भी बुवाई को आसान बनाया है।
भारत की लगभग आधी कृषि भूमि असिंचित है और वहां खेती मानसून पर निर्भर रहती है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में हालिया बढ़ोतरी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत मानी जा रही है। इससे उन्हें उचित मूल्य प्राप्त होगा और खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।