“सीरिया के भविष्य पर जॉर्डन में बैठकर ये देश क्या तय कर रहे हैं?“
सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद वहां स्थिति को सामान्य करने के लिए दुनिया के कई अहम और शक्तिशाली देश अपनी-अपनी कोशिशों में जुटे हुए हैं।
अमेरिका का नया रुख
हाल ही में अमेरिका ने पहली बार स्वीकार किया है कि वह सीरिया के विद्रोही गुटों के साथ संपर्क में है। यह बयान क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता के बीच अमेरिका की नई रणनीति को दर्शाता है।
चीन की भागीदारी
इसी बीच चीन ने भी पहली बार सीरिया के मुद्दे पर खुलकर बयान दिया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने 13 दिसंबर को बीजिंग में मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती के साथ संयुक्त बयान जारी कर सीरिया और पूरे मध्य पूर्व के हालात पर चर्चा की।
जॉर्डन में बैठक
जॉर्डन ने शनिवार को सीरिया के मुद्दे पर बातचीत की मेज़बानी शुरू की। इस बैठक में कई देशों के विदेश मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। चर्चा का मुख्य बिंदु बशर अल-असद के शासन के पतन के बाद के हालात और सीरिया के भविष्य की रणनीति तैयार करना था।
इस बैठक में शामिल देशों ने सीरिया में स्थिरता बहाल करने, मानवीय संकट को कम करने और राजनीतिक समाधान पर जोर दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है यह बैठक?
- अमेरिका और चीन की सीरिया पर सक्रियता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई कूटनीतिक हलचल का संकेत देती है।
- जॉर्डन जैसे क्षेत्रीय देश सीरिया के भविष्य को लेकर मध्यस्थता की भूमिका निभा रहे हैं।
- बैठक का उद्देश्य युद्ध से प्रभावित सीरिया को नए राजनीतिक ढांचे और स्थिरता की ओर ले जाना है।
सीरिया का भविष्य इन चर्चाओं और वैश्विक शक्तियों की आपसी सहमति पर निर्भर करेगा, लेकिन इस प्रक्रिया में चुनौतियां अभी भी बड़ी बनी हुई हैं।