इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और संभावित महासंग्राम का असर न केवल मध्य पूर्व पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जाएगा। भारत, जो कि एक प्रमुख विकासशील देश है, इस महासंग्राम के कई पहलुओं से प्रभावित हो सकता है।
1. इकोनॉमी और ग्रोथ
इजरायल-ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष से वैश्विक आर्थिक स्थिरता पर खतरा मंडरा सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही कोविड-19 के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है, इस संघर्ष से और अधिक प्रभावित हो सकती है। यदि युद्ध होता है, तो निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है, जिससे भारत में विदेशी निवेश में कमी आ सकती है।
2. ट्रेड पर असर
भारत ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों में मजबूती से खड़ा है, विशेषकर तेल के आयात में। यदि इजरायल-ईरान के बीच तनाव बढ़ता है, तो यह भारत के लिए ईरान से तेल आयात में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इससे भारत को अन्य देशों से तेल खरीदने की आवश्यकता हो सकती है, जो महंगा और अस्थिर हो सकता है।
3. तेल की कीमतें
ईरान एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है, और अगर संघर्ष बढ़ता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो भारत की ऊर्जा लागत को बढ़ाएगी। यह स्थिति महंगाई को भी बढ़ा सकती है, जिससे सामान्य जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
4. नौकरी के अवसर
ज्यादातर भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर काम कर रही हैं, और यदि वैश्विक बाजार अस्थिर होते हैं, तो यह उनके कारोबार को प्रभावित कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, नौकरी के अवसरों में कमी आ सकती है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जो सीधे तौर पर ईरान या इजरायल के साथ जुड़े हैं।
5. मार्केट में अस्थिरता
इजरायल-ईरान संघर्ष का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ेगा। वैश्विक स्तर पर किसी भी प्रकार की अस्थिरता का सीधा प्रभाव भारतीय मार्केट पर होगा। निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है।