ढाका: बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और अस्थिरता तेजी से बढ़ रही है। देश के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के खिलाफ जारी विरोध और आंदोलनों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इन हालातों में, सरकार ने देश की सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति सौंप दी है, जिससे यह साफ हो गया है कि हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं।
राजनीतिक अस्थिरता का कारण
बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक हालात की जड़ें सरकार और विपक्षी दलों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव में हैं। मुहम्मद यूनुस, जो कि सामाजिक उद्यमिता और माइक्रोफाइनेंस के जरिए गरीबों की मदद के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं, बांग्लादेश में सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर हो चुके हैं। यूनुस के खिलाफ कई आरोप लगे हैं, जिनमें से कुछ को राजनीतिक साजिश के रूप में भी देखा जा रहा है।
सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति
देश में बढ़ते हिंसक प्रदर्शनों और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति के चलते, बांग्लादेश सरकार ने सेना को मजिस्ट्रेट की शक्ति सौंप दी है। इस कदम के तहत सेना अब कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष अधिकारों का प्रयोग कर सकती है, जिनमें गिरफ्तारी, तलाशी और अन्य कड़े कदम शामिल हैं। यह कदम स्पष्ट करता है कि हालात बेहद गंभीर हो चुके हैं और सरकार को सेना का सहारा लेना पड़ा है।
विपक्ष और प्रदर्शनकारियों की मांग
विपक्षी दल और प्रदर्शनकारी सरकार पर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार, प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में, विरोधियों और आलोचकों को दबाने के लिए सेना का इस्तेमाल कर रही है। मुहम्मद यूनुस को लेकर जारी विवाद ने इस आंदोलन को और गति दी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय चिंता
बांग्लादेश में बढ़ते तनाव और सेना को दिए गए अतिरिक्त अधिकारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है। मानवाधिकार संगठनों ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों का सम्मान करे। यूनुस के समर्थन में कई वैश्विक नेता और संस्थान भी सामने आए हैं, जिन्होंने उनकी सामाजिक और आर्थिक नीतियों की सराहना की है और उनके खिलाफ हो रही कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
हालात हो सकते हैं भयंकर
जानकारों का मानना है कि बांग्लादेश में हालात आने वाले दिनों में और भी भयंकर हो सकते हैं। सेना की भूमिका बढ़ने से हिंसा और टकराव की संभावना भी अधिक हो गई है। यदि राजनीतिक अस्थिरता का समाधान नहीं निकला तो बांग्लादेश में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो सकते हैं, जो पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंताजनक होंगे।