केन्द्रीय बजट में शिक्षा के लिए आवंटित किये गये 1 लाख 28 हजार करोड़ रुपये: धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यसभा में शिक्षा क्षेत्र के बजटीय आवंटन पर चर्चा की

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से शिक्षा क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में लगातार वृद्धि की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष के केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए 1,28,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.22 प्रतिशत अधिक है।

श्री प्रधान ने बताया कि स्कूली शिक्षा के लिए बजटीय आवंटन वर्ष 2013-14 में 52,700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2025-26 में 78,572 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा पर खर्च भी 26,750 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जो सरकार की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय मिलकर प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा, पोषण और विकास सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, सभी माध्यमिक विद्यालयों में इंटरनेट ब्रॉडबैंड की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारतनेट परियोजना पर काम किया जा रहा है।

श्री प्रधान ने कहा कि इस बार शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साथ ही, सरकार ने आगामी पांच वर्षों में देश में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब खोलने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बजट में भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत सभी 22 अनुसूचित भाषाओं की पाठ्यपुस्तकों का डिजिटलीकरण किया जाएगा।

इससे पहले, चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने शिक्षकों के कौशल और प्रशिक्षण पर चिंता जताई। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में शोधकर्ताओं को जूनियर रिसर्च फेलोशिप देने में देरी हो रही है। भारतीय जनता पार्टी के घनश्याम तिवारी ने केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों पर बात की और बताया कि समग्र शिक्षा अभियान के लिए 41,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

तृणमूल कांग्रेस के रीताब्रत बनर्जी ने शिक्षा के लिए बजट आवंटन को बढ़ाने की आवश्यकता जताई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने भारत में शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, कई अन्य नेताओं ने भी इस चर्चा में भाग लिया और शिक्षा प्रणाली में सुधारों पर अपने विचार व्यक्त किए।

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