महाराष्ट्र: पुराने वाहनों के लिए 31 मार्च तक हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनिवार्य, समय सीमा पर उठे सवाल

“महाराष्ट्र में पुराने वाहनों पर HSRP लगाना अनिवार्य, समय सीमा पर उठे सवाल”

महाराष्ट्र में 1 अप्रैल, 2019 से पहले पंजीकृत दो करोड़ से ज्यादा वाहनों के मालिकों को 31 मार्च, 2025 तक हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) लगवाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह नियम वाहन चोरी पर अंकुश लगाने और वाहन पहचान में एकरूपता लाने के उद्देश्य से लागू किया गया है।

HSRP क्या है?

HSRP एक विशेष प्रकार की पंजीकरण प्लेट है, जो दुर्लभ एल्युमीनियम अलॉय से बनी होती है। इसमें कई सुरक्षा विशेषताएं होती हैं, जैसे:

  1. रेट्रो-रिफ्लेक्टिव फिल्म
  2. क्रोमियम-आधारित अशोक चक्र होलोग्राम
  3. नीले रंग में हॉट-स्टैम्प्ड अक्षर “IND”
  4. 10-अंकीय यूनिक लेजर-ब्रांडेड सीरियल नंबर

इन सुरक्षा विशेषताओं के कारण प्लेट के साथ छेड़छाड़ संभव नहीं है।

HSRP की लागत

  • दोपहिया वाहनों के लिए: ₹450
  • तिपहिया वाहनों के लिए: ₹500
  • चार पहिया वाहनों (कार, ट्रक, बस): ₹745
    (सभी दरों में GST शामिल नहीं है)

समय सीमा और प्रशासनिक व्यवस्था

महाराष्ट्र में HSRP लगवाने की जिम्मेदारी तीन एजेंसियों को सौंपी गई है:

  1. रोसमेर्टा सेफ्टी सिस्टम्स लिमिटेड (जोन 1)
  2. रियल मैजोन इंडिया लिमिटेड (जोन 2)
  3. एफटीए HSRP सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (जोन 3)

क्या है समस्या?

  • समय सीमा: विशेषज्ञों का मानना है कि 31 मार्च, 2025 तक दो करोड़ से ज्यादा वाहनों में HSRP लगाना अव्यावहारिक है।
  • प्रशासनिक चुनौती: तीन एजेंसियों को इतने बड़े पैमाने पर चार महीने में HSRP लगाने के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना मुश्किल होगा।
  • अपॉइंटमेंट प्रक्रिया: वाहन मालिकों को HSRP लगवाने के लिए अपॉइंटमेंट बुक करना होगा, लेकिन प्रक्रिया की स्पष्टता और समयसीमा पर सवाल उठ रहे हैं।

मौजूदा स्थिति

महाराष्ट्र सरकार ने HSRP के कार्यान्वयन के लिए अगस्त 2023 में टेंडर आमंत्रित किए। 2008 से 2019 के बीच पंजीकृत 1.62 करोड़ दोपहिया और 33 लाख चार पहिया वाहनों में HSRP लगाना बाकी है।

गैर-अनुपालन पर कार्रवाई

31 मार्च, 2025 के बाद HSRP न लगवाने वाले वाहन मालिकों पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 177 के तहत जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष

HSRP का उद्देश्य वाहन सुरक्षा और पहचान में सुधार करना है, लेकिन इसकी समय सीमा और कार्यान्वयन प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। प्रशासन को इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए व्यापक योजना और समयसीमा पर पुनर्विचार करना होगा।

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