“असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन का टैगिंग: वन्यजीव संरक्षण में ऐतिहासिक उपलब्धि“
असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन को टैग किया गया है, जो राज्य में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस उपलब्धि की जानकारी अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा की।
सहयोगी परियोजना का हिस्सा
यह टैगिंग पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय कैंपा (प्रतिपूरक वनीकरण प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) के बीच भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से की गई परियोजना का हिस्सा है। इस परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय जलीय जीव गंगा नदी डॉल्फिन के संरक्षण को बेहतर समझना और उसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाना है।
गंगा डॉल्फिन की घटती संख्या
गंगा नदी डॉल्फिन, जो कभी भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख नदी प्रणालियों में व्यापक रूप से पाई जाती थी, हाल के वर्षों में अपनी संख्या में तेजी से गिरावट देख रही है। यह स्थिति संरक्षण के महत्व को और भी बढ़ा देती है।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन: अनूठा सर्वेक्षण
सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत दुनिया का पहला ऐसा सर्वेक्षण किया गया है जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों के 8,000 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल किया गया। यह सर्वेक्षण भारतीय वन्यजीव संस्थान के नेतृत्व में किया गया, जिसमें गंगा नदी डॉल्फिन और सिंधु नदी डॉल्फिन की दो प्रजातियों को शामिल किया गया।
डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में नई योजनाएं
सरकार पारिस्थितिकी दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए समुद्री डॉल्फिन की जनसंख्या के आकलन की भी योजना बना रही है। भारत ने 2020 में मीठे पानी की नदियों और तटीय जल में डॉल्फिन के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट डॉल्फिन की शुरुआत की थी।
यह परियोजना न केवल गंगा डॉल्फिन के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगी, बल्कि जल-जीव पारिस्थितिकी तंत्र को समझने और बेहतर बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
