“भारत के बैंकिंग सेक्टर का शानदार प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में मजबूत वृद्धि“
नई दिल्ली, 31 जनवरी 2025: भारत के बैंकिंग सेक्टर ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सितंबर 2024 तक बैंकों का ग्रॉस एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) घटकर 2.6% रह गया, जो पिछले 12 वर्षों में सबसे कम स्तर है। इसके अलावा, बैंकों का शुद्ध लाभ 22.2% की वार्षिक वृद्धि के साथ मजबूत स्थिति में पहुंच गया है, जो बैंकिंग सेक्टर की स्थिरता और विकास को दर्शाता है।
बैंकिंग क्रेडिट और जमा राशि में वृद्धि
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में बैंक क्रेडिट स्थिर गति से बढ़ रहा है, जिससे बैंकों की कुल जमा राशि नवंबर 2024 तक 11.1% की वृद्धि के साथ बढ़ी है। विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज वितरण की स्थिति भी संतोषजनक रही:
- कृषि क्षेत्र में कर्ज की वृद्धि दर 5.1% दर्ज की गई।
- औद्योगिक क्षेत्र में यह दर 4.4% रही, जो पिछले वर्ष 3.2% थी।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए कर्ज की वृद्धि दर 13% रही।
- बड़ी कंपनियों के लिए यह दर 6.1% रही।
ग्रामीण बैंकिंग सेक्टर का भी बेहतरीन प्रदर्शन
ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार और सुधार देखने को मिला। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का प्रदर्शन भी शानदार रहा, जहां उनका शुद्ध लाभ 2023 में ₹4,974 करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹7,571 करोड़ हो गया। इससे यह संकेत मिलता है कि ग्रामीण इलाकों में बैंकिंग सिस्टम मजबूत हो रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी धीरे-धीरे सशक्त हो रही है।
एनपीए में गिरावट से बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार, मार्च 2025 तक भारतीय बैंकों का एनपीए और घटकर 2.4% हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले साल इसमें 0.2% की और गिरावट देखने को मिल सकती है। एनपीए में गिरावट का सीधा मतलब है कि बैंकों द्वारा दिए गए कर्ज की वापसी बेहतर हो रही है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और मजबूत बनी हुई है।