“एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह का सख्त रुख, भारत ने ‘संयुक्त बयान’ पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार”
किंगदाओ/नई दिल्ली, 27 जून — भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में गुरुवार को एक साफ और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करते हुए कहा कि यह दस्तावेज आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत और स्पष्ट नीति को दर्शाने में विफल रहा है।
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने सीमा पार आतंकवाद, पाकिस्तान की भूमिका और भारत विरोधी गतिविधियों पर खुलकर बात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस हमले में निर्दोष लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया था।
रक्षा मंत्री ने आरोप लगाया कि संयुक्त बयान में न केवल पहलगाम हमले की अनदेखी की गई, बल्कि इसके स्थान पर बलूचिस्तान का उल्लेख कर भारत पर अशांति फैलाने के परोक्ष आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने यह भी इशारा किया कि यह बदलाव पाकिस्तान के दबाव में और चीन के प्रभाव में किया गया, जो वर्तमान में एससीओ का अध्यक्ष है।
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा:
“भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है। हमने अपने कार्यों से दिखाया है कि आतंक के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेंगे।”
उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की जवाबी रणनीति का हिस्सा है, जो सीमा पार से हो रहे आतंकी हमलों के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में चलाया गया।
बैठक में मौजूद एससीओ महासचिव, क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (RATS) के निदेशक और अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि
“क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी हैं। कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद इन समस्याओं की जड़ में हैं, और हमें इन्हें सामूहिक रूप से समाप्त करने के प्रयास करने होंगे।”
राजनाथ सिंह का यह रुख न केवल भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूती से प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा, चाहे वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्यों न हो।
