“वायु प्रदूषण से बढ़ सकता है मस्तिष्क ट्यूमर ‘मेनिन्जियोमा’ का खतरा: अध्ययन“
एक नए अध्ययन में सामने आया है कि वायु प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों और दिल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क में होने वाले एक सामान्य ट्यूमर मेनिन्जियोमा के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
मेनिन्जियोमा एक गैर-घातक (नॉन-कैंसरस) ट्यूमर होता है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली पतली झिल्ली (मेनिन्जेस) में विकसित होता है। यह ट्यूमर आमतौर पर हानिरहित होता है, लेकिन इसके कारण सिरदर्द, दौरे या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं।
यह अध्ययन न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है और इसमें पाया गया कि विशेष रूप से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और अल्ट्राफाइन कणों जैसे ट्रैफिक प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से इस ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है।
शोध डेनमार्क में 40 लाख वयस्कों पर किया गया, जिनकी औसत उम्र 35 वर्ष थी और उन्हें 21 वर्षों तक ट्रैक किया गया। इस अवधि में 16,596 लोगों में मस्तिष्क या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित ट्यूमर पाए गए, जिनमें से 4,645 में मेनिन्जियोमा की पुष्टि हुई।
डेनमार्क कैंसर संस्थान की प्रमुख शोधकर्ता उल्ला ह्विडटफेल्ड ने बताया कि अल्ट्राफाइन कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि वे ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार कर मस्तिष्क के ऊतकों तक पहुंच सकते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि अध्ययन ने केवल संभावित संबंध को दर्शाया है, लेकिन यह स्पष्ट किया गया है कि प्रदूषण को सीधा कारण नहीं माना गया है, और इस संबंध में आगे और शोध की आवश्यकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्वच्छ हवा से ब्रेन ट्यूमर का जोखिम घटाया जा सकता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है।
