“केवड़िया में कुलपति सम्मेलन: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर“
गुजरात के केवड़िया में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का दो दिवसीय सम्मेलन गुरुवार से शुरू हुआ, जिसमें देश के 50 से अधिक प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा, मूल्यांकन और भविष्य की रणनीति तय करना रहा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए सभी विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने संस्थानों के लिए NEP 2020 के पूर्ण कार्यान्वयन हेतु एक रणनीति पत्र तैयार करें। इस रणनीति में निम्नलिखित तत्व शामिल करने को कहा गया:
- विषयों का बहु-विषयक एकीकरण
- भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को शिक्षा की मुख्यधारा में लाना
- कौशल विकास और अप-स्किलिंग के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा
- नवाचार-आधारित शैक्षणिक पहल
- पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक तकनीक का समन्वय
- हर विश्वविद्यालय में कुलपति सम्मेलन जैसे विचार मंचों का आयोजन
श्री प्रधान ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में गहरा परिवर्तन आया है। उन्होंने प्रमुख उपलब्धियों की जानकारी दी:
- कुल छात्र नामांकन 4.46 करोड़ तक पहुंचा (2014-15 से 30% वृद्धि)
- महिला नामांकन में 38% की वृद्धि, और महिला GER अब पुरुषों से अधिक
- पीएचडी नामांकन दोगुना, और महिला पीएचडी स्कॉलरशिप में 136% वृद्धि
- अनुसूचित जनजातियों के लिए GER में 10% वृद्धि, अनुसूचित जातियों के लिए 8% से अधिक
- अब तक 1,200 से अधिक विश्वविद्यालय और 46,000 से अधिक कॉलेज स्थापित
मंत्री ने NEP 2020 के ‘पंच संकल्प’ की अवधारणा पर भी प्रकाश डाला, जो कुलपतियों के लिए दिशानिर्देश के रूप में कार्य करेगी:
- अगली पीढ़ी की उभरती शिक्षा
- बहु-विषयक शिक्षा
- नवीन (इनोवेटिव) शिक्षा
- समग्र (होलिस्टिक) शिक्षा
- भारतीय शिक्षा
प्रधान ने कुलपतियों से “शैक्षणिक त्रिवेणी संगम” के तहत तीन स्तरों पर काम करने की अपील की:
- अतीत का उत्सव – भारत की ज्ञान परंपरा का सम्मान
- वर्तमान का मूल्यांकन – भारतीय विमर्श को सशक्त करना
- भविष्य का निर्माण – वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका सुनिश्चित करना
