“भारत में चिप क्रांति की दस्तक: सेमीकंडक्टर मिशन से वैश्विक तकनीकी शक्ति बनने की ओर“
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा, “जब चिप्स डाउन हों, तो आप भारत पर दांव लगा सकते हैं।” यह कथन आज के तकनीकी दौर में भारत की सेमीकंडक्टर रणनीति और उसकी वैश्विक भूमिका को दर्शाता है। भारत अब सेमीकंडक्टर निर्माण और डिज़ाइन में तेज़ी से उभरता हुआ केंद्र बन रहा है, जो न केवल डिजिटल अर्थव्यवस्था बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी अहम साबित हो रहा है।
सेमीकंडक्टर: आधुनिक तकनीक की आधारशिला
सेमीकंडक्टर चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक वाहन, उपग्रह और रक्षा प्रणालियों जैसे कई उपकरणों का मूल हैं। इन चिप्स की मदद से डेटा को तेज़ी से प्रोसेस किया जा सकता है, जिससे आधुनिक डिजिटल प्रणालियाँ संभव होती हैं। कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान आई चिप संकट ने दुनिया को दिखा दिया कि यह उद्योग कितना अहम और संवेदनशील है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM): आत्मनिर्भरता की ओर
भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में ISM की शुरुआत की थी, जिसके तहत ₹76,000 करोड़ का निवेश किया गया है। इसका मकसद है भारत को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले निर्माण में आत्मनिर्भर बनाना। मिशन के प्रमुख पहलू हैं:
- चिप निर्माण और डिज़ाइन को बढ़ावा देना
- कौशल विकास, जिसमें 85,000 इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने की योजना
- वैश्विक साझेदारियाँ, जैसे IBM, पर्ड्यू विश्वविद्यालय और माइक्रोन के साथ सहयोग
हाल की बड़ी उपलब्धियां
- नोएडा और बेंगलुरु में चिप डिज़ाइन केंद्र: मई 2025 में उद्घाटन हुए ये केंद्र 3-नैनोमीटर चिप्स पर काम करेंगे
- HCL-फॉक्सकॉन संयंत्र: डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स के लिए प्रति माह 20,000 वेफर्स उत्पादन क्षमता वाला यह संयंत्र 1,200 नौकरियां पैदा करेगा
- स्वदेशी चिप निर्माण: 2025 के अंत तक भारत की पहली घरेलू चिप उत्पादन के लिए तैयार होगी, जिसके लिए पाँच निर्माण इकाइयाँ विकसित की जा रही हैं
सेमीकॉन इंडिया 2025: भारत की वैश्विक उपस्थिति
2 से 4 सितंबर 2025 के बीच नई दिल्ली में आयोजित होने वाला सेमीकॉन इंडिया 2025, 18 देशों की 300 से अधिक कंपनियों की भागीदारी के साथ एक वैश्विक तकनीकी मंच बनेगा। इसमें जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों के अंतरराष्ट्रीय मंडप शामिल होंगे। इस आयोजन का फोकस स्टार्टअप्स, कौशल विकास और वैश्विक साझेदारी पर होगा।
भविष्य की संभावनाएं
वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार के 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। भारत का सेमीकंडक्टर बाजार, जो 2023 में $38 बिलियन था, 2026 तक $63 बिलियन तक पहुँच सकता है। भारत अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि चिप डिज़ाइन, उत्पादन, R&D, AI और IoT क्षेत्रों में भी योगदान दे रहा है।
