“डॉ. उर्जित पटेल बने आईएमएफ में भारत के नए कार्यकारी निदेशक“
केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल को तीन वर्ष की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कार्यकारी निदेशक नियुक्त करने की मंजूरी दी है। यह नियुक्ति कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यन के कार्यकाल अचानक समाप्त होने के बाद की गई है।
डॉ. पटेल को भारत की मौद्रिक नीति में मुद्रास्फीति-लक्ष्यीकरण फ्रेमवर्क के निर्माता के रूप में जाना जाता है। केन्या में जन्मे पटेल ने अपना करियर करीब 30 साल पहले आईएमएफ से ही शुरू किया था और वाशिंगटन डीसी तथा नई दिल्ली में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया।
वे 2016 में आरबीआई के 24वें गवर्नर बने, लेकिन 2018 में व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले उन्होंने वित्त मंत्रालय में सलाहकार, और बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईडीएफसी लिमिटेड, एमसीएक्स लिमिटेड तथा गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसी संस्थाओं में जिम्मेदार पदों पर काम किया।
डॉ. पटेल की शैक्षिक पृष्ठभूमि भी उल्लेखनीय है—उन्होंने येल विश्वविद्यालय से पीएचडी, ऑक्सफोर्ड से एमफिल और लंदन विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल की है।
उनकी नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब पाकिस्तान के लिए आईएमएफ बेलआउट प्रोग्राम पर भारत ने विरोध जताया है, क्योंकि चिंता है कि इन धनराशियों का उपयोग सीमा पार आतंकवाद और सैन्य गतिविधियों में हो सकता है। हाल ही में आईएमएफ ने पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के मल्टी-ईयर प्रोग्राम के तहत 1 अरब डॉलर की पहली किश्त मंजूर की है।
इस बीच भारत की आईएमएफ स्थिति भी मजबूत हुई है—देश के विशेष आहरण अधिकार (SDR) में 4.1 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई है और आरक्षित स्थिति 1.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.754 अरब डॉलर हो गई है। यह भारत की वित्तीय मजबूती और बाहरी झटकों से निपटने की क्षमता को दर्शाता है।
