“मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में भीली चित्रकार कम्मी बाई की प्रदर्शनी”
मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री हेतु सार्थक मंच उपलब्ध कराने के लिए प्रतिमाह ‘लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा’ में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह-विक्रय का आयोजन ‘शलाका’ नाम से किया जाता है।
इसी क्रम में 3 सितंबर से भील जनजातीय चित्रकार कम्मी बाई की कृतियों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। यह 65वीं शलाका प्रदर्शनी 30 सितंबर तक निरंतर चलेगी।
कम्मी बाई का जीवन परिचय
- जन्म: वर्ष 1988, ग्राम दोतड़ (तहसील-रानापुर), जिला झाबुआ
- परिवार: पिता पांगु भूरिया किसान, कुल पाँच भाई-बहन
- बचपन: जंगल-पहाड़ों और प्रकृति के बीच गुज़रा, लेकिन गाँव में स्कूल न होने से शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकीं
- विवाह: वर्ष 2007 में अपने समुदाय के प्रसिद्ध भीली चित्रकार रामसिंह भाबोर से हुआ
चित्रकला की ओर रुझान
विवाह के बाद कम्मी बाई ने अपने पति के साथ चित्रकला में सहयोग करना शुरू किया।
रामसिंह भाबोर के मार्गदर्शन और सान्निध्य में उन्होंने भीली चित्रकला की बारीकियों को सीखा और धीरे-धीरे अपनी स्वतंत्र शैली विकसित की।
