“डीप ओशन मिशन: भारत में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की योजना”
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानसून मिशन, मिशन मौसम और डीप ओशन मिशन (डीओएम) की शुरुआत की है। इनमें से डीप ओशन मिशन का उद्देश्य देश में ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना है। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दी।
डीप ओशन मिशन की शुरुआत और उद्देश्य
7 सितंबर 2021 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक केंद्रीय योजना के रूप में डीप ओशन मिशन शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य गहरे समुद्र में स्थित संसाधनों की खोज और सतत दोहन को बढ़ावा देना है। यह मिशन मछली पालन, पर्यटन, समुद्री परिवहन, नवीकरणीय ऊर्जा और समुद्री जैव प्रौद्योगिकी जैसे ब्लू इकोनॉमी के विभिन्न घटकों को मजबूत करेगा।
डीओएम की गतिविधियाँ और प्रौद्योगिकियाँ
डीओएम के तहत समुद्री सर्वेक्षण और अन्वेषण कार्य हो रहे हैं, जो समुद्र तल के संसाधनों का पता लगाने में मदद करेंगे। प्रमुख संसाधनों में कोबाल्ट, निकल, तांबा और मैंगनीज जैसे खनिज शामिल हैं। इसके अलावा, महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण तकनीक से ऊर्जा उत्पादन और मीठे पानी के निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
महत्वपूर्ण परियोजनाएँ:
- गहरे समुद्र में संसाधनों की खोज।
- 6000 मीटर पानी की गहराई तक जाने के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी का विकास।
- समुद्री जलवायु परिवर्तन के लिए सलाहकार सेवाओं का निर्माण।
- समुद्री जैव विविधता और खनिज संसाधनों की खोज।
- बहु-विषयक अनुसंधान पोतों का विकास।
- समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता निर्माण के लिए समुद्री स्टेशन की स्थापना।
अन्वेषण और संधियाँ:
डीओएम के अंतर्गत, भारत ने मध्य हिंद महासागर बेसिन में 75,000 वर्ग किलोमीटर और दक्षिण-पश्चिम भारतीय कटकों में 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण कार्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स (PMN) और पॉलीमेटेलिक सल्फाइड्स (PMS) की खोज की जा रही है।
‘उच्च समुद्र’ संधि:
2021 में भारत को ‘बीबीएनजे’ (राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से अलग जैव विविधता समझौता) या ‘उच्च समुद्र’ संधि पर हस्ताक्षर करने की मंजूरी मिली थी। यह संधि समुद्री जैविक संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग को सुनिश्चित करती है।
डीप ओशन मिशन के जरिए भारत समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग के साथ-साथ ब्लू इकोनॉमी के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है
