“जांच में पहलगाम आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान की साज़िश उजागर, वैश्विक मंचों पर फिर बेनकाब हुआ इस्लामाबाद“
पहलगाम आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक बार फिर पाकिस्तान की गहरी साज़िश को उजागर कर दिया है। जांच में सामने आया है कि इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों की प्रत्यक्ष भूमिका रही है
एनआईए को जो तकनीकी साक्ष्य मिले हैं, उनमें फोन कॉल्स की निगरानी, वित्तीय लेन-देन, और सीमापार से जारी निर्देश शामिल हैं। ये सभी संकेत करते हैं कि हमले की योजना, हथियारों की आपूर्ति, और टारगेट सिलेक्शन में पाकिस्तानी सैन्य खुफिया एजेंसी ISI की सीधी भागीदारी थी।
बार-बार दोहराया गया पैटर्न
यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने आतंकवाद से जुड़े मामले में पहले इनकार, फिर बचाव और अंततः बेनकाबी का रास्ता अपनाया हो। भारत लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट करता आया है कि पाकिस्तान केवल आतंकी संगठनों का आश्रयदाता नहीं, बल्कि उनका संरक्षक और नियंता है।
सेना और ISI की आतंकी रणनीति
पाकिस्तानी सेना और ISI ने आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार की तरह अपनाया है। सीमाओं की रक्षा से इतर अब सेना खुद कॉरपोरेट साम्राज्य चला रही है, जिसमें रियल एस्टेट, बैंक, कंस्ट्रक्शन, और होटल चेन तक शामिल हैं।
Fauji Foundation, Army Welfare Trust, और Shaheen Foundation जैसी संस्थाओं के ज़रिए मुनाफा कमाया जा रहा है, जिसमें भारत विरोधी माहौल बनाए रखना अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।
बहुस्तरीय आतंकी तंत्र
- ISI: आतंकी संगठनों की भर्ती, फंडिंग और ट्रेनिंग की जिम्मेदार।
- सेना: आतंकियों को ‘आउटसोर्स्ड वारफेयर’ के रूप में इस्तेमाल करती है।
- राजनीतिक दल: सेना की नीतियों पर मौन समर्थन बनाए रखते हैं।
- मदरसे और मौलवी: युवाओं को ‘जिहाद’ के नाम पर कट्टरपंथ की ओर धकेलते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक बढ़त
भारत ने हाल के वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को रक्षात्मक से आक्रामक बना लिया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे ठोस जवाब और IMF की मदद पर विरोध जताकर भारत ने यह संदेश दिया है कि वह पाकिस्तान की ‘आतंकी छवि’ को वैश्विक मंचों पर चुनौती देना जारी रखेगा।
FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान का लगातार बने रहना, इस्लामाबाद के लिए एक बड़ा संकेत है कि वैश्विक समुदाय अब उसके दोहरे चेहरे को पहचान चुका है। भारत ने UN, G20, और SCO जैसे मंचों पर प्रमाणों के साथ यह स्थापित किया है कि पाकिस्तान की सत्ता संरचना का हिस्सा आतंकवाद बन चुका है।
