आजादी के बाद पहली बार बस्तर के 26 माओवाद प्रभावित गांव में फहराया गया तिरंगा

बस्तर में गणतंत्र दिवस का ऐतिहासिक उत्सव: माओवाद प्रभावित गांवों में पहली बार फहराया तिरंगा

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, और कांकेर जिलों सहित सुदूर वनांचल में गणतंत्र दिवस इस बार उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। यह आयोजन खासतौर पर ऐतिहासिक बन गया क्योंकि छब्बीस गांव, जो पहले माओवादियों के आतंक के साए में थे, अब शांति और विकास की राह पर चलते हुए पहली बार तिरंगा फहराने के गवाह बने।

शांति और लोकतंत्र की बहाली का प्रतीक

राज्य सरकार के माओवाद उन्मूलन अभियान की सफलता से इन गांवों में सुरक्षा और विश्वास का नया माहौल बना है। गणतंत्र दिवस पर ग्रामीणों ने पूरे जोश के साथ तिरंगा फहराया और राष्ट्रीय पर्व का जश्न मनाया।

  • नए सुरक्षा शिविर: बस्तर संभाग में पिछले वर्ष के दौरान 26 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं, जिससे माओवादियों का प्रभाव कम हुआ है।
  • प्रभातफेरी और नारे: स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने प्रभातफेरी निकाली, जिसमें वंदेमातरम और जय हिंद के नारे गूंजे।

शहीद जवानों को श्रद्धांजलि

माओवादी हिंसा में बलिदान हुए जवानों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया और उनके परिजनों को सम्मानित किया गया। यह आयोजन न केवल देशभक्ति को मजबूत करता है, बल्कि बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त करता है।

सुरक्षा बलों और सरकार का सामूहिक प्रयास

बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने कहा कि राज्य सरकार और सुरक्षा बलों के सामूहिक प्रयासों से बस्तर में शांति और लोकतंत्र की बहाली संभव हुई है। माओवादियों के विरोध के स्थान पर अब विकास और विश्वास का माहौल बन रहा है।

ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक

यह गणतंत्र दिवस उन गांवों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है, जहां पहली बार राष्ट्रीय पर्व मनाया गया। यह आयोजन शांति, विकास, और लोकतांत्रिक मूल्यों की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक है।

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