“GDP ग्रोथ को लेकर चिंता नहीं, वित्त मंत्री का भरोसा: तीसरी तिमाही में होगी भरपाई“
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ रेट में आई सुस्ती ‘प्रणालीगत’ नहीं है। उन्होंने भरोसा जताया कि तीसरी तिमाही में बेहतर सार्वजनिक और पूंजीगत व्यय के जरिए इस नरमी की भरपाई की जाएगी।
GDP ग्रोथ रेट में आई गिरावट
जुलाई-सितंबर तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4% की दर से बढ़ा, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में यह दर 6.7% थी। इस बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया।
वित्त मंत्री की राय
वित्त मंत्री ने इसे ‘प्रणालीगत’ सुस्ती मानने से इनकार करते हुए कहा, “यह सार्वजनिक व्यय, पूंजीगत व्यय और अन्य आर्थिक गतिविधियों में कमी का परिणाम है। मुझे पूरा विश्वास है कि तीसरी तिमाही में इन सभी गतिविधियों की भरपाई हो जाएगी।”
भारत की अर्थव्यवस्था पर भरोसा
सीतारमण ने कहा कि भारत अगले साल और उसके बाद भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने बताया कि आम चुनाव और पूंजीगत व्यय में कमी के कारण पहली तिमाही में ग्रोथ रेट प्रभावित हुई, जिसका असर दूसरी तिमाही पर भी पड़ा। पहली छमाही में सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए तय 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय लक्ष्य का केवल 37.3% ही खर्च किया।
वैश्विक मांग और निर्यात पर असर
वित्त मंत्री ने वैश्विक मांग में स्थिरता को भी आर्थिक वृद्धि में कमी का एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा, “वैश्विक मांग में कमी से निर्यात वृद्धि प्रभावित हुई है। हालांकि, भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ रही है, लेकिन वेतन वृद्धि में स्थिरता से जुड़ी चिंताएं बनी हुई हैं। यह भारत की घरेलू खपत को प्रभावित कर सकता है।”
आशावादी नजरिया
निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार इन सभी चुनौतियों से अवगत है और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय और सार्वजनिक निवेश के बढ़ने से GDP ग्रोथ में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।