“भारत में घरेलू क्रेडिट बढ़कर जीडीपी के 42.1% पर पहुंचा: एनएसई रिपोर्ट“
नई दिल्ली, 12 जुलाई। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति के चलते घरेलू क्रेडिट वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 42.1 प्रतिशत हो गया है। यह जानकारी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की हालिया मार्केट प्लस रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में बताया गया कि यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2013 से 2020 तक 32-35 प्रतिशत की सीमा में स्थिर रहा था।
महामारी के बाद क्रेडिट में तेज़ उछाल
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बाद भारतीय परिवारों के बीच क्रेडिट की मांग में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है।
- वित्त वर्ष 2021 में घरेलू क्रेडिट बढ़कर 39.9% हुआ
- वित्त वर्ष 2024 में यह बढ़कर 42.1% पर पहुंच गया
यह बदलाव दर्शाता है कि महामारी के बाद लोगों की वित्तीय पहुंच और आत्मविश्वास में इज़ाफा हुआ है।
वित्तीय बचत में गिरावट
जहां एक ओर क्रेडिट में वृद्धि हुई है, वहीं शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत में गिरावट देखी गई है।
- वित्त वर्ष 2021 में शुद्ध बचत जीडीपी का 11.7% थी
- वित्त वर्ष 2024 में यह घटकर 5.2% रह गई
इसके पीछे देनदारियों में तीव्र वृद्धि एक अहम कारण रही है।
- वित्त वर्ष 2021 में घरेलू वित्तीय देनदारियां थीं 7.4 लाख करोड़ रुपये
- वित्त वर्ष 2024 में ये बढ़कर 18.8 लाख करोड़ रुपये हो गईं
- इससे शुद्ध बचत 23.3 लाख करोड़ से घटकर 15.5 लाख करोड़ रुपये हो गई
उपभोग वृद्धि में घरेलू लोन की भूमिका
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के बाद की अवधि में निजी उपभोग में सुधार दर्ज किया गया, जो घरेलू लोन की बढ़ती उपलब्धता से प्रेरित है।
- वित्त वर्ष 2023-2025 के दौरान उपभोग वृद्धि का औसत 6.7% रहा
- यह संकेत देता है कि उधारी आधारित खपत अब उपभोग वृद्धि का एक मजबूत आधार बन रही है
