“भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र का रूपांतरण: उत्पादन दोगुना, योजनाओं और नवाचारों से नई दिशा”
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन में लगभग 8% योगदान देता है। तटीय और ग्रामीण इलाकों में यह क्षेत्र लाखों परिवारों के लिए भोजन, आय और रोज़गार का प्रमुख स्रोत है।
पिछले दशक में इस क्षेत्र ने तेज़ी से प्रगति की है। 2013-14 से 2024-25 तक कुल मछली उत्पादन में 104% की वृद्धि दर्ज की गई है। उत्पादन 96 लाख टन से बढ़कर 195 लाख टन तक पहुंचा। खास तौर पर अंतर्देशीय मत्स्य पालन में 142% की वृद्धि दर्ज हुई है, जो 61 लाख टन से बढ़कर 147.37 लाख टन तक पहुंचा।
प्रमुख योजनाएं और पहलें
1. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY)
- कुल निवेश: 20,050 करोड़ रुपए (2020-21 से 2024-25 तक)
- उद्देश्य:
- उत्पादन और उत्पादकता में सुधार
- आधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे का विस्तार
- मूल्य श्रृंखला को मज़बूत करना और मछुआरों का कल्याण
- अब तक 21,274 करोड़ रुपए की परियोजनाएं स्वीकृत, जिनमें से केंद्र का अंश 9,189 करोड़ रुपए है।
2. प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना (PM-MKSSY)
- अवधि: 2023-24 से 2026-27
- वित्तीय परिव्यय: 6,000 करोड़ रुपए
- फोकस:
- औपचारिकीकरण, बीमा कवरेज
- वित्तीय मदद तक आसान पहुंच
- गुणवत्ता आश्वासन और मूल्य श्रृंखला मज़बूत करना
- इसके तहत राष्ट्रीय मत्स्य पालन डिजिटल प्लेटफॉर्म (NFDP) लॉन्च किया गया, जिस पर अगस्त 2025 तक 26 लाख से अधिक हितधारक पंजीकृत हो चुके हैं।
3. मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF)
- लॉन्च: 2018
- कुल निधि: 7,522 करोड़ रुपए
- उद्देश्य: समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए अवसंरचना का विकास
- 2026 तक बढ़ाया गया, जिससे किसानों और उद्यमियों को 12.5 करोड़ रुपए तक की ऋण गारंटी सुविधा और 3% ब्याज अनुदान उपलब्ध होगा।
4. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) विस्तार
- अब मछुआरों और मछली किसानों को भी शामिल किया गया।
- ऋण सीमा: 5 लाख रुपए तक बढ़ाई गई।
- जून 2025 तक 4.76 लाख KCC जारी, कुल संवितरण 3,214 करोड़ रुपए।
5. तकनीकी नवाचार
- पुनर्चक्रण जलीय कृषि प्रणाली (RAS): पानी के पुन: उपयोग से उत्पादन बढ़ाना।
- बायोफ्लोक तकनीक: सूक्ष्मजीवों से प्राकृतिक आहार और साफ पानी उपलब्ध कराना।
- स्वीकृत परियोजनाएं (मार्च 2025 तक):
- 12,000 RAS इकाइयां (कुल लागत: 902 करोड़ रुपए)
- 4,205 बायोफ्लोक इकाइयां (कुल लागत: 523 करोड़ रुपए)
6. स्मार्ट मत्स्य बंदरगाह
- मंजूरी प्राप्त बंदरगाह:
- दीव (वनकबारा)
- पुडुचेरी (कराईकल)
- गुजरात (जखाऊ)
- अनुमानित लागत: 369.8 करोड़ रुपए
- विशेषताएं: ऑनलाइन नीलामी, एआई-आधारित प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण-अनुकूल सुविधाएं।
7. समावेशी विकास
- महिलाओं और हाशिए पर पड़े समूहों को प्राथमिकता।
- 2020-21 से 2024-25 तक महिलाओं से संबंधित 3,973 करोड़ रुपए की परियोजनाएं स्वीकृत।
- आदिवासी समुदायों के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 10,000 सामुदायिक समूहों और 1 लाख लाभार्थियों को मत्स्य पालन सहायता।
नतीजे और भविष्य की दिशा
- मत्स्य पालन क्षेत्र में लाखों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित हुए हैं।
- 11 एकीकृत जल पार्कों की स्वीकृति से मूल्य श्रृंखला और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ी है।
- स्टार्टअप इंडिया के सहयोग से 39 स्टार्टअप्स को 31.22 करोड़ रुपए की सहायता मिली है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (FAO और AFD) से इको-फिशिंग पोर्ट्स और ब्लू पोर्ट्स की अवधारणा भारत में मज़बूत हो रही है
