“यूरोपीय संघ के एआई वर्किंग ग्रुप के सह-अध्यक्ष माइकल मैकनामारा का बयान: भारत को एआई के उपयोग पर अपनी राह चुनने का पूरा अधिकार“
यूरोपीय संघ (EU) के एआई वर्किंग ग्रुप के सह-अध्यक्ष माइकल मैकनामारा ने डीडी न्यूज के संवाददाता गौतम रॉय से विशेष बातचीत में कहा कि भारत को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उपयोग और विकास को लेकर अपनी स्वतंत्र नीति अपनाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही एआई के विकास में पारदर्शिता, सुरक्षा और नवाचार को प्राथमिकता देते हैं।
भारत और यूरोपीय संघ में एआई सहयोग की संभावनाएं
मैकनामारा ने बताया कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच एआई क्षेत्र में कई समानताएं हैं। दोनों पक्ष जिम्मेदार और नैतिक एआई के विकास पर बल देते हैं, जिससे समाज को अधिकतम लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और यूरोपीय संघ की मजबूत नियामक संरचना एक साथ मिलकर एआई के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
नैतिकता और पारदर्शिता पर जोर
मैकनामारा ने एआई के जिम्मेदार उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी तकनीकी प्रगति में नैतिकता और पारदर्शिता अनिवार्य होनी चाहिए। भारत की डिजिटल नीतियां और यूरोपीय संघ का नियामक दृष्टिकोण एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को मिलकर एक ऐसी संरचना विकसित करनी चाहिए, जिससे एआई का उपयोग सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से किया जा सके।
भारत की स्वतंत्र नीति अपनाने का अधिकार
मैकनामारा ने स्पष्ट किया कि भारत एक वैश्विक तकनीकी शक्ति है और उसे अपने सामाजिक और आर्थिक संदर्भ के अनुसार एआई नीतियां तय करने का पूरा अधिकार है।
उन्होंने कहा, “भारत के पास अपनी जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुसार एआई नीति बनाने की पूरी स्वतंत्रता है। यूरोपीय संघ इसके प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण रखता है और सहयोग के लिए हमेशा तैयार है।”
निष्कर्ष
मैकनामारा के बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच एआई के क्षेत्र में सहयोग की व्यापक संभावनाएं हैं। भारत की डिजिटल क्षमताएं और यूरोपीय संघ की नियामक विशेषज्ञता मिलकर एआई विकास को एक नई दिशा दे सकते हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर नैतिक और जिम्मेदार एआई का मार्ग प्रशस्त होगा।
