“सिक्किम के रणभूमि पर्यटन में नया अध्याय: डोकलाम, नाथूला और चो ला जल्द होंगे पर्यटकों के लिए सुलभ“
पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध राज्य सिक्किम अब अपने मानचित्र में तीन अनोखे और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों—डोकलाम, नाथूला दर्रा और चो ला—को शामिल करने जा रहा है। यह कदम केंद्र सरकार की ‘भारत रणभूमि दर्शन’ पहल का हिस्सा है, जिसे इस वर्ष जनवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लॉन्च किया था। इस पहल के तहत देश के ऐतिहासिक युद्ध क्षेत्रों को आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए खोला जाएगा, जिससे लोगों को भारत के सैन्य इतिहास से प्रत्यक्ष जुड़ाव का अवसर मिलेगा।
डोकलाम: सामरिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र
डोकलाम, भारत-चीन-भूटान की त्रिकोणीय सीमा पर स्थित, 2017 में हुए भारत-चीन सैन्य गतिरोध के चलते अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया था। अब इसे एक नियंत्रित तरीके से पर्यटन के लिए खोलने की योजना है। हालांकि सुरक्षा कारणों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक पहुंच प्रतिबंधित रहेगी, फिर भी पर्यटक इस क्षेत्र की सामरिक भौगोलिक स्थिति को नजदीक से समझ सकेंगे।
नाथूला दर्रा और चो ला में भी खुलेगा नया अनुभव
नाथूला दर्रा और चो ला, पहले से ही लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं, लेकिन अब उन्हें रणभूमि पर्यटन की थीम में ढालकर एक नया दृष्टिकोण दिया जाएगा। ये दोनों स्थान छांगो लेक से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह पहल इन क्षेत्रों को सिर्फ प्राकृतिक स्थल न मानकर, उन्हें भारत के सैन्य शौर्य और बलिदान की गाथा से जोड़ने का माध्यम बनाएगी।
बुनियादी ढांचे का विस्तार
सिक्किम पर्यटन विभाग और भारतीय सेना मिलकर इन क्षेत्रों को सुरक्षित, सुलभ और पर्यटक-अनुकूल बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। प्रस्तावित बुनियादी ढांचागत विकास में पार्किंग एरिया, शौचालय, प्रतीक्षालय जैसी सुविधाएं शामिल हैं। पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सी.एस. राव के अनुसार, सरकार पर्यटकों की सुविधा और सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता दे रही है।
रोजगार और क्षेत्रीय विकास को मिलेगा बढ़ावा
इस पहल से न सिर्फ सिक्किम के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। होटल, गाइड सेवा, स्थानीय उत्पादों की बिक्री और परिवहन सेवाओं में वृद्धि देखने को मिलेगी।
भारत रणभूमि दर्शन: एक राष्ट्रीय पहल
डोकलाम, नाथूला और चो ला जैसे स्थलों के अलावा, गलवान घाटी और सियाचिन जैसे कुल 77 रणभूमि स्थलों को इस राष्ट्रव्यापी पहल में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य देशवासियों को भारत के सैन्य इतिहास से जोड़ना और सीमावर्ती क्षेत्रों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
