“मोटी आई कैम्पेन 2.0 : कलेक्टर नेहा मीना की पहल से झाबुआ में कुपोषण की रोकथाम की नई दिशा”
झाबुआ जिले में कलेक्टर नेहा मीना के नेतृत्व में जुलाई 2024 से “कुपोषण मुक्त झाबुआ” अभियान के तहत “मोटी आई कैम्पेन” की शुरुआत की गई। इस अभियान का उद्देश्य जिले में कुपोषण की गंभीर समस्या को जड़ से खत्म करना है।
अभियान के प्रथम चरण में अतिकुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर उन्हें पौष्टिक आहार, थर्ड मील वितरण, नियमित मालिश, स्वास्थ्य परीक्षण, तथा विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से सुधार की प्रक्रिया से जोड़ा गया। इस दौरान कुल 1950 बच्चों को लक्ष्य बनाकर काम किया गया, जिनमें से 1272 बच्चे सामान्य श्रेणी में तथा 446 बच्चे मध्यम कुपोषित श्रेणी में लाए गए। इस प्रकार 1718 बच्चों के पोषण स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
अभियान की सफलता के बाद अब “मोटी आई कैम्पेन 2.0” की शुरुआत 18 जून 2025 से थांदला विकासखण्ड से की गई। इस चरण में पहले चरण के शेष 232 बच्चों और नवीन चिन्हांकित 390 बच्चों को शामिल कर कुल 622 बच्चों को लक्ष्य बनाया गया है।
इस अवसर पर कलेक्टर नेहा मीना की अध्यक्षता में स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त अमले की बैठक आयोजित की गई, जिसमें मैदानी स्तर पर गतिविधियों की कार्ययोजना बनाई गई। द्वितीय चरण के तहत हर शनिवार को बच्चों की स्वास्थ्य जांच, मालिश, पोषण आहार वितरण और अभिभावकों को पोषण शिक्षा दी जा रही है।
झाबुआ जिले में 6 एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) संचालित हैं, जिनकी कुल बैड आक्युपेंसी संख्या 80 है। अतिकुपोषित बच्चों को आवश्यकतानुसार इन केंद्रों में भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है।
मई 2025 की स्थिति के अनुसार विभिन्न परियोजनाओं में चिन्हांकित अतिकुपोषित बच्चों की संख्या इस प्रकार है:
- झाबुआ : 121
- मेघनगर : 101
- पेटलावद : 143
- रामा : 101
- राणापुर : 90
- थांदला : 66
इन आंकड़ों के आधार पर प्रत्येक विकासखण्ड में क्रमबद्ध रूप से प्रशिक्षण और सुधारात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे जिले को पूर्णतया कुपोषण मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
“मोटी आई कैम्पेन” झाबुआ में बाल स्वास्थ्य और पोषण सुधार की दिशा में एक सशक्त मॉडल बनकर उभर रहा है।
