“बसंत पंचमी के अवसर पर संगम में तीसरे अमृत स्नान के दौरान भक्तों का सैलाब“
प्रयागराज के पावन संगम तट पर बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरे अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आस्था और श्रद्धा का यह अद्भुत संगम देखने लायक था, जहां देशभर से आए भक्तों ने पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया।
आज के स्नान पर्व पर अनुमानित दो करोड़ 33 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। माघ मेले के इस पावन अवसर पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर श्रद्धालुओं ने भोर से ही स्नान का सिलसिला शुरू कर दिया था। भक्तगण स्नान के बाद दान-पुण्य और पूजन-अर्चन में लीन रहे।
माघ मेले की भव्यता और प्रशासन की तैयारी
माघ मेले के तीसरे प्रमुख स्नान पर्व को लेकर प्रशासन ने विशेष तैयारियां की थीं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिससे श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के स्नान कर सकें। घाटों पर सफाई, मेडिकल सुविधा और परिवहन व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया था।
बसंत पंचमी और श्रद्धालुओं की आस्था
बसंत पंचमी विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी सरस्वती की उपासना का पर्व है। इस अवसर पर संगम में स्नान करने से जीवन में सकारात्मकता और ज्ञान का प्रकाश फैलने की मान्यता है। श्रद्धालुओं ने सरस्वती पूजा कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और ज्ञान-विज्ञान में उन्नति की प्रार्थना की।
संगम तट पर गूंजते मंत्रों, भजन-कीर्तन और श्रद्धालुओं की आस्था ने इस अवसर को और भी दिव्य बना दिया। माघ मेले का यह अमृत स्नान भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम बनकर उभरा, जो भारतीय परंपराओं और धार्मिकता की गहरी जड़ों को दर्शाता है।
