“अमेरिका के टैरिफ पर विशेषज्ञों की आलोचना, भारत-चीन संबंधों में सुधार को मिला समर्थन“
विदेश मामलों के विशेषज्ञ सुधींद्र कुलकर्णी ने शुक्रवार को चीन के राजदूत शू फीहॉन्ग के हालिया बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चीन भी अमेरिका की टैरिफ नीति की आलोचना करता है और भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। कुलकर्णी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रवैये को अनुचित बताते हुए कहा कि, “ट्रंप पूरी दुनिया को ग्लोबल पुलिसमैन बनकर धमका रहे हैं, जबकि उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है।”
उन्होंने भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार को सकारात्मक और स्वागत योग्य कदम बताया। कुलकर्णी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महीने चीन दौरे को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि, “2017 के बाद पीएम मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी। यह दौरा एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए है और इससे दोनों देशों के रिश्तों में नई उम्मीदें जुड़ेंगी।”
आर्थिक दृष्टिकोण
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ आकाश जिंदल ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा, “भारत को रूस से तेल लेने के लिए टारगेट किया जा रहा है, जबकि अमेरिका और यूरोप खुद रूस से तेल खरीदते हैं। ऐसे में भारत को अलग करके ऊंचा टैरिफ लगाना पूरी तरह गलत है।”
जिंदल ने आगे कहा कि रूस भारत का पुराना और भरोसेमंद दोस्त है, इसलिए उससे तेल खरीदने में किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने भारत सरकार की नीतियों की सराहना की और कहा कि भारत चीन के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका और चीन, दोनों के साथ संबंधों में सावधानी और संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।
घरेलू उपभोग है भारत की सबसे बड़ी ताकत
जिंदल ने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका घरेलू उपभोग (Domestic Consumption) है। उन्होंने जीएसटी सुधारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि दो टैक्स स्लैब खत्म होने जा रहे हैं, जिससे उपभोग को और बढ़ावा मिलेगा। साथ ही त्योहारी सीजन से मांग में तेजी आएगी और भारत की वैश्विक व्यापार पर निर्भरता कम हो जाएगी।
