“प्रधानमंत्री मोदी ने गंगईकोंडा चोलपुरम में आदि तिरुवथिरई उत्सव के समापन में लिया भाग“
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तमिलनाडु के अरियालुर जिले स्थित ऐतिहासिक गंगईकोंडा चोलपुरम में प्रसिद्ध चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित आदि तिरुवथिरई उत्सव के समापन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक भव्य रोड शो किया और गंगईकोंडा चोलपुरम के प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की।
प्रधानमंत्री शनिवार को दो दिवसीय तमिलनाडु दौरे पर पहुंचे थे। रविवार सुबह उन्होंने तिरुचि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हेलीकॉप्टर द्वारा गंगईकोंडा चोलपुरम के पास चोलगंगम झील के सूखे तट पर बने अस्थायी हेलीपैड पर लैंडिंग की। चोलगंगम, जिसे पोन्नेरी के नाम से भी जाना जाता है, एक विशाल मानव निर्मित जलाशय है जिसका निर्माण राजेंद्र चोल प्रथम ने एक सहस्राब्दी पूर्व करवाया था।
सुरक्षा और परंपरा के विशेष प्रबंधों के बीच प्रधानमंत्री का रोड शो गांव के मुख्य मार्ग से होते हुए मंदिर तक पहुँचा। रास्ते में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए, जिन्होंने पारंपरिक परिधान, झंडे और नारों के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया। पूरा गांव उत्सव के रंग में रंगा था — पारंपरिक पताकाओं, फूलों की सजावट और चोल युग की झांकियों से वातावरण जीवंत हो उठा।
गंगईकोंडा चोलपुरम का शाब्दिक अर्थ है “गंगा पर विजय पाने वाले चोल सम्राट का नगर।” यह नगर सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम द्वारा स्थापित किया गया था, जिन्होंने गंगा के मैदानों तक अपना सैन्य अभियान सफलतापूर्वक चलाया और इस क्षेत्र को चोल साम्राज्य की राजधानी बनाया। बृहदेश्वर मंदिर और चोलगंगम झील, उनकी प्रशासनिक दूरदृष्टि और स्थापत्य कौशल के अद्भुत उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, स्थापत्य कला और क्षेत्रीय गौरव को सम्मान देने की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयासों का हिस्सा मानी जा रही है। गंगईकोंडा चोलपुरम, जो अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है, देश की ऐतिहासिक धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
