“तमिलनाडु में विकास और विरासत का संगम: प्रधानमंत्री मोदी का दो दिवसीय दौरा“
मुख्य बिंदु:
दौरे की शुरुआत और उद्देश्य
- स्थान: तूतीकोरिन और तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु
- समय: शनिवार शाम से दो दिवसीय दौरा
- उद्देश्य: बुनियादी ढांचे का विकास, क्षेत्रीय संपर्क सुधारना, व्यापार व पर्यटन को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान।
हवाई क्षेत्र में विकास
- तूतीकोरिन एयरपोर्ट:
- ₹450 करोड़ की लागत से बने नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन
- क्षेत्रफल: 17,340 वर्गमीटर, क्षमता: 1,350 यात्री (भविष्य में 1,800)
- सुविधाएं: 100% एलईडी, ऊर्जा कुशल प्रणालियां, अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण
- दक्षिण तमिलनाडु में हवाई संपर्क को देगा नई दिशा
सड़क क्षेत्र में दो बड़ी परियोजनाएं
- विक्रवंडी-तंजावुर कॉरिडोर (NH-36):
- 50 किमी खंड का चार लेन में चौड़ीकरण, लागत ₹2,350 करोड़
- 3 बायपास, कोल्लिडम नदी पर पुल, 7 फ्लाईओवर, अंडरपास
- यात्रा समय में 45 मिनट की कमी, कृषि व सांस्कृतिक क्षेत्रों को फायदा
- तूतीकोरिन पोर्ट रोड (NH-138):
- 5.16 किमी का छह लेन विस्तार, लागत ₹200 करोड़
- माल परिवहन में सुविधा, औद्योगिक विकास को बढ़ावा
बंदरगाह विकास
- वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट:
- ₹285 करोड़ की लागत से बने नॉर्थ कार्गो बर्थ-III का उद्घाटन
- 6.96 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो हैंडलिंग क्षमता
- थोक माल की मांग को पूरा करने में सहायक
रेलवे परियोजनाएं
- मदुरै-बोदिनायक्कनूर रेलखंड (90 किमी):
- विद्युतीकरण, पर्यावरण अनुकूल यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा
- नागरकोइल टाउन–कन्याकुमारी खंड (21 किमी):
- दोहरीकरण, लागत ₹650 करोड़
- चेन्नई–कन्याकुमारी मार्ग पर यात्रा में सुगमता
- अन्य दोहरीकरण कार्य:
- अरलवयमोझी–नागरकोइल जंक्शन (12.87 किमी)
- तिरुनेलवेली–मेलप्पलायम (3.6 किमी)
ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी पहल
- अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली (ISTS):
- लागत ₹550 करोड़
- कुडनकुलम परमाणु संयंत्र (यूनिट 3 और 4) से 400 केवी ट्रांसमिशन लाइन
- तूतीकोरिन-2 सबस्टेशन तक बिजली आपूर्ति
- स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूती
सांस्कृतिक कार्यक्रम: राजेंद्र चोल प्रथम को सम्मान
- स्थान: गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर, तिरुचिरापल्ली
- अवसर:
- आदि तिरुवथिरई महोत्सव में भागीदारी
- राजेंद्र चोल प्रथम की 1000वीं विजय वर्षगांठ
- स्मारक सिक्का जारी
- महत्व:
- चोल वंश की राजधानी गंगईकोंडा चोलपुरम
- यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, शैव भक्ति और प्रशासनिक कला का प्रतीक
