“नदी पुनरुद्धार पर केंद्रीय निगरानी समिति की 20वीं बैठक, 15 राज्यों की प्रगति की समीक्षा“
नदी पुनरुद्धार पर केंद्रीय निगरानी समिति (सीएमसी) की 20वीं बैठक का आयोजन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग की सचिव देबाश्री मुखर्जी की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में 15 राज्यों में चल रहे नदी पुनरुद्धार प्रयासों की समीक्षा की गई।
समिति ने 2018 से 2022 के बीच प्रदूषित नदी खंडों में कमी को उत्साहजनक करार दिया और उल्लेख किया कि सिक्किम ऐसा राज्य है जहां नवीनतम सीपीसीबी आकलन के अनुसार कोई भी नदी खंड प्रदूषित नहीं है।
बैठक में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल, एनआरसीडी के संयुक्त सचिव कर्ण सिंह, नमामि गंगे मिशन के कार्यकारी निदेशक, राज्य सरकारों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के प्रतिनिधियों सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
सचिव के निर्देश
- बाढ़ क्षेत्र प्रबंधन को आगे बढ़ाने पर जोर।
- सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने की आवश्यकता।
- सीवेज उपचार संयंत्रों (STP) और सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (CETP) का अनुपालन सुनिश्चित करना।
- उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए नवीन उपाय अपनाना।
- समाधान-उन्मुख प्रयासों और स्थायी हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करना ताकि नदी जल गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हो।
विभिन्न राज्यों के प्रयास
- असम व पंजाब: बाढ़ के मैदानों का सीमांकन और अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम।
- ओडिशा: अपशिष्ट जल पुन: उपयोग, भूजल नियमन और भुवनेश्वर में तूफानी जल का मार्ग परिवर्तन।
- पंजाब: सतलुज नदी के लिए बाढ़ क्षेत्र की अधिसूचना तथा अपशिष्ट जल उपयोग की परियोजनाएं।
- महाराष्ट्र: बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में उपचारित सीवेज का बड़े पैमाने पर पुनर्चक्रण अनिवार्य।
- मेघालय व मिजोरम: स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को सशक्त किया।
- सिक्किम: अपशिष्ट पृथक्करण, खाद निर्माण और उद्योगों द्वारा शून्य तरल उत्सर्जन नीति के लिए सराहा गया।
चुनौतियाँ
समिति ने यह भी माना कि अभी भी सीवेज उपचार क्षमता में अंतराल, गैर-अनुपालन STP, और औद्योगिक प्रदूषण प्रबंधन में अपर्याप्त प्रगति जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
