हिमाचल में निवेश में धारा 118 सबसे बड़ी बाधा: उद्योग मंत्री

उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भू-अधिनियम की धारा 118 के सरलीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया

शिमला- उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भू-अधिनियम की धारा 118 हिमाचल प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक सुखराम चौधरी और जीतराम कटवाल द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि जब तक धारा 118 में संशोधन कर इसके प्रावधानों को सरल नहीं किया जाता, तब तक प्रदेश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा नहीं मिल सकता।

उद्योग मंत्री ने विपक्ष से अपील की कि वे धारा 118 के सरलीकरण के मुद्दे पर सरकार का समर्थन करें, ताकि प्रदेश में औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए एक लंबी अवधि की नीति बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि धारा 118 की शर्तों को सरल बनाने की आवश्यकता है ताकि कोई उद्योग हिमाचल प्रदेश से पलायन न करें।

मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उद्योग बंद होना एक सामान्य प्रक्रिया है और सरकार किसी बंद हुए उद्योग को फिर से नहीं चला सकती। सरकार का कार्य केवल उद्योगों को प्रोत्साहन देना है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उद्योग बंद होने के कई कारण होते हैं, जैसे कि बाजार में बने उत्पाद की मांग का न होना या साझेदारों और सहयोगियों के साथ विवाद।

मंत्री ने यह भी बताया कि जब कोई उद्योग बंद होता है, तो उद्योगपति सरकार को इसकी सूचना नहीं देते और धारा 118 के कारण वे अपने प्लाट सीधे तौर पर नहीं बेच सकते, जिससे उन्हें यह संपत्ति दलालों को सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है।

उद्योग मंत्री ने बताया कि पिछले दो वर्षों में सिंगल विंडो अथॉरिटी के माध्यम से 143 औद्योगिक इकाइयों को मंजूरी दी गई है, जिनमें 8380 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है और इन उद्योगों में 17,730 लोगों को रोजगार मिलेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 64 औद्योगिक क्षेत्र हैं और सरकार शीघ्र 13 और औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना करने का विचार कर रही है। इसके लिए भूमि चयनित की जा चुकी है और आवश्यक कार्यवाही चयनित भूमि विभाग के नाम स्थानांतरित होने पर शुरू की जाएगी।

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