“आदिवासी नेता शिबू सोरेन के सम्मान में राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित, देश ने खोया एक जननायक“
झारखंड मुक्ति मोर्चा के संरक्षक और आदिवासी समाज के लोकप्रिय नेता शिबू सोरेन का सोमवार सुबह नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कई हफ्तों से गंभीर रूप से बीमार थे और जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। उनके निधन की सूचना के बाद राज्यसभा की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने भावुक स्वर में शिबू सोरेन के निधन की जानकारी दी। उन्होंने उन्हें “दिशोम गुरुजी” और “गुरुजी” के रूप में याद करते हुए कहा कि वे केवल एक सांसद नहीं बल्कि वंचितों, आदिवासियों और समाज के अंतिम व्यक्ति की बुलंद आवाज थे।
उपसभापति ने कहा, “शिबू सोरेन ने अपने जीवन को जनसेवा के लिए समर्पित किया। उन्होंने झारखंड के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई और उनकी निःस्वार्थ सेवा भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद की जाएगी।”
शिबू सोरेन का लंबा राजनीतिक जीवन लोकसभा के आठ और राज्यसभा के तीन कार्यकालों तक फैला रहा। वे उन गिने-चुने नेताओं में से रहे जिन्होंने हाशिए पर पड़े समुदायों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से उठाया।
गौरतलब है कि जून 2025 में उन्हें किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं और स्ट्रोक के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लंबे समय तक उपचार के बाद 4 अगस्त की सुबह 8:56 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनकी स्मृति में राज्यसभा में एक मिनट का मौन रखा गया। उपसभापति ने महासचिव को निर्देश दिया कि सदन की ओर से शोक संदेश उनके परिवार को भेजा जाए। उनके सम्मान में सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए स्थगित की गई ताकि सदस्य इस अपूरणीय क्षति पर शोक व्यक्त कर सकें।
शिबू सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति और देश के आदिवासी समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
