“पारंपरिक चिकित्सा में AI के प्रयोग को WHO ने बताया ऐतिहासिक कदम, भारत की वैश्विक सराहना”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत द्वारा पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग को एक ऐतिहासिक और अग्रणी पहल बताया है। अपनी पहली तकनीकी रिपोर्ट “पारंपरिक चिकित्सा में AI के अनुप्रयोग का मानचित्रण” में WHO ने भारत के प्रयासों को वैश्विक मानक के रूप में मान्यता दी है। यह रिपोर्ट भारत के प्रस्ताव पर तैयार की गई है, जिसमें आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी आदि में तकनीक के प्रभावी उपयोग को विस्तार से दर्शाया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत किस तरह AI, मशीन लर्निंग और डीप न्यूरल नेटवर्क जैसी तकनीकों से नाड़ी परीक्षण, प्रकृति मूल्यांकन और जीभ परीक्षण जैसी पारंपरिक विधियों को और अधिक वैज्ञानिक व व्यक्तिगत बना रहा है। ये तकनीकें रोगों की सटीक पहचान के साथ-साथ व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार उपचार भी सुझा रही हैं।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने WHO की सराहना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विजन से जोड़ा जिसमें आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का समन्वय कर स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने की बात कही गई थी। उन्होंने SAHI पोर्टल, NAMASTE पोर्टल और आयुष रिसर्च पोर्टल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को भारत की डिजिटल स्वास्थ्य यात्रा के अहम स्तंभ बताया।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने जानकारी दी कि आयुष ग्रिड प्लेटफॉर्म, जो 2018 में शुरू हुआ था, इन सभी प्रयासों की नींव है। इस प्लेटफॉर्म के जरिए पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान को डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे में एकीकृत किया जा रहा है।
रिपोर्ट में भारत की “आयुर्जेनोमिक्स” परियोजना का भी उल्लेख है, जो आयुर्वेद और जीनोमिक्स का एकीकरण है। इसमें AI की मदद से रोगों से जुड़े जीन संकेतकों की पहचान की जाती है और व्यक्ति विशेष के अनुकूल सलाह दी जाती है। यह नवाचार हर्बल औषधियों के प्रभाव को आणविक स्तर पर समझने में भी सहायक है।
इसके अलावा WHO ने पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) की भी प्रशंसा की है, जो भारतीय चिकित्सा ग्रंथों और ज्ञान को AI टूल्स की सहायता से संरक्षित और विश्लेषित कर रही है। साथ ही, डिजिटल परामर्श प्लेटफॉर्म और आयुष चिकित्सकों के लिए डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण को भी एक प्रभावशाली पहल बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आयुष सेक्टर का बाजार आकार अब 43.4 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बना रहा है, बल्कि आर्थिक विकास में भी अहम योगदान दे रहा है। WHO की यह मान्यता इस बात का संकेत है कि भारत पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक तकनीक के मेल से वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
